पूर्वोत्तर भारत, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, अब तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। इस क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों और बुनियादी ढांचे की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने यहां के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य पूर्वोत्तर के हर कोने को मुख्यधारा से जोड़ना और क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है।
पीएम-डिवाइन योजना: पूर्वोत्तर के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल
प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) की शुरुआत केंद्रीय बजट 2022-23 में एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में की गई थी।
- योजना अवधि: 2022-23 से 2025-26
- कुल परिव्यय: ₹6,600 करोड़
- प्रारंभिक परियोजनाएं: 7, प्रारंभिक बजट: ₹1,500 करोड़
इस योजना के मुख्य उद्देश्य हैं:
- पीएम-गतिशक्ति के अनुरूप बुनियादी ढांचे को वित्तपोषित करना
- सामाजिक विकास परियोजनाओं को समर्थन
- युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका के अवसर
- विकास की खामियों को भरना
एनईएसआईडीएस (सड़कें): दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने की योजना
पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (NESIDS – Roads) को 2017-18 में शुरू किया गया था और इसे 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
इसका उद्देश्य ऐसी सड़कों का निर्माण करना है जो अन्य केंद्रीय योजनाओं में कवर नहीं होतीं, लेकिन:
- दूरदराज़ क्षेत्रों तक पहुंच बनाती हैं
- बाजारों से जोड़ती हैं
- सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं
इस योजना में केवल सड़कों, पुलों और सहायक अवसंरचना को प्राथमिकता दी जाती है।
एनईएसआईडीएस (OTRI): लंबित परियोजनाओं की गति बढ़ाना
यह योजना उन अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए है जो पहले की योजनाओं जैसे:
- NCLPR (Non-Lapsable Central Pool of Resources)
- HADP (Hill Area Development Programme)
के तहत स्वीकृत थीं।
इस योजना के तहत ₹5 करोड़ से ₹50 करोड़ तक की परियोजनाएं स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति, अपशिष्ट प्रबंधन, उद्योग, खेल और दूरसंचार आदि क्षेत्रों के लिए स्वीकृत की जाती हैं।
पूर्वोत्तर परिषद (NEC) की योजनाएं: समग्र क्षेत्रीय विकास
पूर्वोत्तर परिषद की योजनाएं सभी आठ राज्यों को कवर करती हैं और 2022 से 2026 तक के लिए बढ़ाई गई हैं।
योजनाओं का कार्यान्वयन संबंधित राज्य सरकारों या केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर किया जाता है।
मुख्य फोकस क्षेत्र:
- बांस उद्योग
- सूअर पालन
- क्षेत्रीय पर्यटन
- उच्च शिक्षा
- तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएं
- आजीविका संवर्धन
यह जानकारी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।