जनजातीय कल्याण योजनाओं में कितना फंड पहुंचा ज़मीन पर

राज्यसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके ने जानकारी दी कि सरकार देश में अनुसूचित जनजातियों और जनजातीय बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए Development Action Plan for Scheduled Tribes (DAPST) को एक रणनीति के रूप में लागू कर रही है।

इस योजना के अंतर्गत न सिर्फ जनजातीय कार्य मंत्रालय बल्कि कुल 41 मंत्रालय/विभाग अपने कुल बजट का एक निश्चित प्रतिशत हर वर्ष जनजातीय विकास के लिए अलग से निर्धारित करते हैं। यह फंड शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, बिजली, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर खर्च होता है।

बजट की पारदर्शिता और निगरानी

DAPST के अंतर्गत आवंटित बजट और उसका उपयोग STCMIS पोर्टल (https://stcmis.gov.in) पर ऑनलाइन मॉनिटर किया जाता है। यह पोर्टल सीधे PFMS (Public Finance Management System) से डेटा प्राप्त करता है जिससे यह पता चल सके कि कितनी राशि आवंटित हुई और वास्तव में खर्च कितनी हुई। राज्यवार जानकारी भी इसी पोर्टल पर उपलब्ध है।

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सालाना बजट में DAPST का उल्लेख

DAPST के अंतर्गत कौन-कौन सी योजनाएं चल रही हैं और कितना फंड किन मंत्रालयों द्वारा दिया गया है, इसकी विस्तृत जानकारी हर वर्ष के Union Budget के “Statement 10B” दस्तावेज में मिलती है:

राज्यों की भूमिका

राज्य सरकारों को भी अपने कुल स्कीम बजट में से अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या (जनगणना 2011 के अनुसार) के अनुपात में TSP फंड तय करना होता है। इसका विवरण State TSP पोर्टल पर मौजूद है।

शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्रयास: EMRS

जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना चलाई जा रही है। ये विद्यालय नवोदय विद्यालयों के समकक्ष हैं और इनमें स्थानीय कला, संस्कृति, खेल और कौशल विकास पर भी ज़ोर दिया जाता है। अब तक 728 स्कूलों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 479 स्कूल चालू हैं और करीब 1.38 लाख छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।

इस योजना का क्रियान्वयन National Education Society for Tribal Students (NESTS) नामक स्वायत्त संगठन करता है। फंड राज्य सरकारों, पीएसयू और अन्य एजेंसियों को NESTS के माध्यम से दिया जाता है।

सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय के विकास के लिए बजट और योजनाएं लगातार चलाई जा रही हैं। परंतु इस बजट का प्रभाव ज़मीन पर कितना दिख रहा है, यह जांचने की ज़िम्मेदारी न केवल सरकारी एजेंसियों की है बल्कि हमें और आपको भी इस पारदर्शिता को देखना और समझना चाहिए।

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